Tejashwi Yadav का बड़ा दांव! “बिहार का तेजस्वी संकल्प” लॉन्च, क्या नीतीश को मिलेगी सीधी चुनौती?
बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान से ठीक सात दिन पहले महागठबंधन ने अपना संयुक्त चुनावी घोषणापत्र जारी किया है, जिसका नाम रखा गया
बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान से ठीक सात दिन पहले महागठबंधन ने अपना संयुक्त चुनावी घोषणापत्र जारी किया है, जिसका नाम रखा गया है – “बिहार का तेजस्वी संकल्प”। यह घोषणापत्र न केवल विपक्षी गठबंधन की नीतियों को दर्शाता है बल्कि पूरी तरह से तेजस्वी यादव के नेतृत्व पर केंद्रित है। घोषणापत्र के कवर पेज पर तेजस्वी यादव की बड़ी तस्वीर इस बात का प्रतीक है कि यह चुनाव केवल उनके नेतृत्व में नहीं, बल्कि उनके चारों ओर लड़ा जा रहा है। मौजूदा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के मुकाबले तेजस्वी यादव अब इस चुनाव में महागठबंधन का एकमात्र चेहरा बन गए हैं। तेजस्वी ने कहा, “मैं थोड़ा नौजवान हूं, पर मेरे इरादे मजबूत हैं… जो कहता हूं, वह करता हूं।” उनका दावा है कि इस बार बिहार में परिवर्तन की लहर है और 26 नवंबर से 26 जनवरी तक अपराधियों के खिलाफ राज्यव्यापी अभियान चलाया जाएगा।
‘न्याय और बदलाव’ से ‘तेजस्वी का संकल्प’ तक — घोषणापत्र का बदलता स्वरूप
2020 के चुनाव में आरजेडी के नेतृत्व वाले महागठबंधन ने “न्याय और बदलाव” का नारा दिया था और रोजगार को सबसे बड़ा मुद्दा बनाया था। परंतु पांच वर्षों में बिहार की राजनीति का चेहरा और स्वरूप बदल गया है। अब तेजस्वी यादव न केवल विपक्ष के नेता रहे हैं, बल्कि नीतीश कुमार के साथ 17 महीने तक सत्ता में भी रहे, जहां उन्होंने बड़े पैमाने पर भर्ती अभियान चलाया। यही वजह है कि अब उनका रोजगार का वादा केवल घोषणा नहीं, बल्कि एक शासनिक रिकॉर्ड बन चुका है, जिस पर वे जनता के सामने भरोसा जता सकते हैं। इस बार के घोषणापत्र में “तेजस्वी का संकल्प” सिर्फ नौकरियों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें महिलाओं, अनुबंधकर्मियों और अल्पसंख्यकों के लिए कई नई योजनाएं जोड़ी गई हैं।
महिलाओं और अनुबंधकर्मियों को लुभाने की कोशिश — नई योजनाओं की झड़ी
महागठबंधन के घोषणापत्र में इस बार महिलाओं को केंद्र में रखा गया है। तेजस्वी यादव ने “माई बहन योजना” के तहत महिलाओं को हर महीने ₹2,500 की आर्थिक सहायता देने का वादा किया है। इसके साथ ही, जीविका दीदीयों — जो राज्य के स्व-सहायता समूहों से जुड़ी हैं — को स्थायी रोजगार और ₹30,000 मासिक वेतन देने का वादा किया गया है।
तेजस्वी ने अनुबंधकर्मियों की वर्षों पुरानी मांग को भी अपने घोषणापत्र में शामिल किया है, जिसमें उन्हें स्थायी दर्जा देने की बात कही गई है। विश्लेषकों के अनुसार, यह कदम महागठबंधन की कोशिश है कि वह एनडीए के मध्यम वर्गीय वोट बैंक में सेंध लगा सके। वहीं, नीतीश कुमार की सरकार द्वारा शुरू की गई “मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना”, जिसमें महिलाओं के खातों में ₹10,000 जमा किए जा रहे हैं, को तेजस्वी का ₹2,500 मासिक सहायता योजना सीधी चुनौती देती है।
अल्पसंख्यकों और सामाजिक न्याय पर फोकस — तेजस्वी के लिए ‘अग्निपरीक्षा’
तेजस्वी यादव को 2020 में यह आलोचना झेलनी पड़ी थी कि उन्होंने सीमांचल क्षेत्र में अल्पसंख्यक वोटरों को पूरी तरह आकर्षित नहीं किया, जिससे एआईएमआईएम को लाभ मिला। इस बार “इंडिया ब्लॉक” के घोषणापत्र में वक्फ अधिनियम की समीक्षा और अल्पसंख्यक कल्याण योजनाओं को सशक्त करने की बात कही गई है, ताकि मुस्लिम मतदाता फिर से एकजुट हों। इसके अलावा, घोषणापत्र में आरक्षण को नौवीं अनुसूची में शामिल करने की बात कही गई है, जिससे यह कानूनी रूप से स्थायी हो सके — यह तेजस्वी यादव का अब तक का सबसे बड़ा राजनीतिक दांव माना जा रहा है।
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि अगर 2020 तेजस्वी का राजनीतिक ऑडिशन था, तो 2025 उनका फाइनल टेस्ट है। इस चुनाव में अगर जनता ने तेजस्वी के “संकल्प” को स्वीकार कर लिया, तो वे न केवल लालू प्रसाद यादव की छाया से बाहर निकलेंगे, बल्कि बिहार की सत्ता के सबसे मजबूत दावेदार बन जाएंगे। पर अगर हार हुई, तो यह उनके राजनीतिक करियर की सबसे बड़ी चुनौती साबित होगी।
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