कोडिंग नहीं आती थी फिर भी बन गया developer अब हर दिन जुगाड़ और कॉफी से चलता है काम

रेडिट यूज़र "zaenova" की एक पोस्ट ने इंटरनेट पर हलचल मचा दी है जिसमें उन्होंने कबूल किया कि उन्होंने अपने रिज़्यूमे में झूठ बोला था कि उन्हें कोडिंग आती है और उसी झूठ के बल पर उन्हें एक अच्छी खासी

Apr 26, 2025 - 11:22
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कोडिंग नहीं आती थी फिर भी बन गया developer अब हर दिन जुगाड़ और कॉफी से चलता है काम

रेडिट यूज़र "zaenova" की एक पोस्ट ने इंटरनेट पर हलचल मचा दी है जिसमें उन्होंने कबूल किया कि उन्होंने अपने रिज़्यूमे में झूठ बोला था कि उन्हें कोडिंग आती है और उसी झूठ के बल पर उन्हें एक अच्छी खासी टेक जॉब मिल गई। इतना ही नहीं बल्कि उसी नौकरी में उन्हें प्रमोशन और सैलरी में बढ़ोतरी भी मिली। लेकिन अब वो खुद को एक झूठ की चक्की में पिसता हुआ महसूस कर रहे हैं क्योंकि उन्हें हर रोज़ गूगल पर एरर मैसेज और सिंटैक्स ठीक करने के तरीके ढूंढ़ने पड़ते हैं।

गूगल और कॉन्फिडेंस ने बचाई नौकरी

Zaenova ने लिखा कि जब उनसे कोड समझाने को कहा जाता है तो वो बड़े आत्मविश्वास से टेक्निकल शब्दों में ऐसी बात करते हैं जिससे सामने वाला उलझ जाए। उनका कहना है कि उन्होंने इतनी बार गूगल किया है कि अब उनके ब्राउज़र की हिस्ट्री ‘how to fix syntax errors’ और ‘what does this error mean’ से भरी पड़ी है। इस सबके बावजूद उन्होंने यह भी माना कि इस काम को करते-करते उन्होंने सच में कुछ स्किल्स सीख ली हैं और अब उन्हें लगता है कि शायद वो वाकई प्रोग्रामर बन गए हैं।

डिवेलपर कम्युनिटी को भी हुआ कनेक्शन

Zaenova की ईमानदारी ने कई डिवेलपर्स को छू लिया जो खुद भी कभी न कभी इम्पोस्टर सिंड्रोम से जूझ चुके हैं। एक यूज़र ने मजाक में कहा, “इसे इम्पोस्टर सिंड्रोम मत कहो, इसे इनफिल्ट्रेटर सिंड्रोम कहो। हाहा, ये लोग नहीं जानते कि मुझे कुछ नहीं आता।” कई लोगों ने माना कि उन्हें भी ऐसे ही झूठ बोलकर जॉब मिली थी लेकिन कोई 24 घंटे में ही निकाल दिया गया तो कोई अब मैनेजमेंट में पहुंच गया है।

झूठ से शुरू लेकिन स्किल से बने असली प्रोग्रामर

रेडिट थ्रेड में एक और मजेदार सुझाव आया कि अगर आपने नौकरी झूठ से शुरू की है तो धीरे-धीरे अपने काम को "लॉन्डर" कर लो यानी अपने स्किल्स को असली साबित कर दो। कुछ ने सलाह दी कि अगर आप मैनेजमेंट या सॉफ्ट रोल्स की तरफ शिफ्ट कर जाओ तो कोई आपके बीते कल की जांच नहीं करता। आखिर में zaenova ने लिखा कि उन्हें अब महसूस होता है कि असली पहचान आपके काम से बनती है, न कि आपके बोले गए शब्दों से। शायद अब वो खुद को सही मायनों में प्रोग्रामर कह सकते हैं।

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Neha Yadav Chief Editor