22 साल की उम्र में आईपीएस बन गई मुंगेर की बेटी, पहले प्रयास में ही सफल
यूपीएससी सिविल सर्विस परीक्षा भारत की सबसे बड़ी और कड़ी परीक्षा मानी जाती है। इस परीक्षा को क्रैक करने में कईयों की पूरी जिंदगी लग जाती है फिर भी वो सफल नहीं हो पाते, वहीं बिहार की बेटी उर्मी सिन्हा ने महज 22 साल की उम्र और पहले ही प्रयास में इसे क्रैक कर इतिहास रच दिया है।
उर्मी की शुरुआती जिंदगी पश्चिम बंगाल के हावड़ा में बीती है। उर्मी के पिता डॉ रंजीत सिन्हा हावड़ा के एक प्रतिष्ठित शिशु रोग विशेषज्ञ हैं। वहीं उनकी मां की बात करें तो वो भी शिक्षा को लेकर एक बेहद जागरुक महिला हैं। उर्मी का बचपन भले ही बंगाल में बीता लेकिन वो मूल रुप से बिहारी हैं और उनके अंदर एक बिहारी वाली मेहनत और जिद दोनों थी।
उर्मी का पैतृक घर मुंगेर के हवेली खड़गपुर के मारवाड़ी टोले में हैं। आज भी उनके परिवार के लोग यहां पर रहते हैं। उर्मी अक्सर यहां आया जाया करती थीं। यहां के लोग शिक्षा के प्रति उनकी ललक और उनकी सोच से काफी प्रभावित रहते थें।
प्रारंभिक शिक्षा समाप्त होने के बाद उर्मी ने कोलकाता के सेंट जेवियर्स कॉलेज से राजनीति शास्त्र में बीए किया। यहीं से उनके अंदर यूपीएससी परीक्षा को लेकर आकर्षण बढ़ने लगा था। थोड़े कौतूहल और चिंतन मनन के बाद उन्होंने तय किया कि अब उन्हें यूपीएससी की तैयारी करनी है और इसे क्रैक करना है।
हालांकि यूपीएससी जैसी कठिन परीक्षा में प्रथम प्रयास में सफलता मिलना मुश्किल माना जाता है लेकिन उर्मी ने अपनी कड़ी मेहनत, बिहारी प्रतिभा और मजबूत पारिवारिक पृष्ठभूमि की बदौलत पहले प्रयास में ही 170वां रैंक हासिल कर लिया। उर्मी को आईपीएस सेवा मिल गई। उर्मी की कहानी हर यूपीएससी छात्र के लिए प्रेरणा है जिन्हें लगता है कि यूपीएससी क्रैक करना आसान नहीं होता।
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