Jharkhand News: झारखंड की जमीन पर खेला जा रहा है बड़ा खेल! एनटीपीसी का कोयला प्रोजेक्ट कैसे बिगाड़ रहा झारखंड का पर्यावरण
Jharkhand News: राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के प्रिंसिपल बेंच ने झारखंड के हजारीबाग जिले में एनटीपीसी के पंकरि बारवाडीह कोयला प्रोजेक्ट से जुड़ी अवैध वन भूमि के उपयोग और पर्यावरण नियमों के उल्लंघन के मामले की सुनवाई की। इस मामले में मंटू सोनी की तरफ से एक शिकायत पत्र एनजीटी को भेजा गया था।
Jharkhand News: राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के प्रिंसिपल बेंच ने झारखंड के हजारीबाग जिले में एनटीपीसी के पंकरि बारवाडीह कोयला प्रोजेक्ट से जुड़ी अवैध वन भूमि के उपयोग और पर्यावरण नियमों के उल्लंघन के मामले की सुनवाई की। इस मामले में मंटू सोनी की तरफ से एक शिकायत पत्र एनजीटी को भेजा गया था। मामले की गंभीरता को देखते हुए एनजीटी ने झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, पर्यावरण विभाग, वन और जलवायु परिवर्तन विभाग, एनटीपीसी पंकरि बारवाडीह प्रोजेक्ट, हजारीबाग के जिलाधिकारी और झारखंड के मुख्य वन्यजीव संरक्षक को नोटिस जारी किया है।
दिल्ली की प्रिंसिपल बेंच ने इस मामले को पूर्वी क्षेत्रीय बेंच को ट्रांसफर कर दिया है क्योंकि यह मामला कोलकाता क्षेत्र से संबंधित है। इस मामले की अगली सुनवाई 17 जुलाई 2025 को कोलकाता में होगी। इस ट्रांसफर से यह स्पष्ट होता है कि एनजीटी मामले को गंभीरता से देख रहा है और उचित जांच एवं कार्रवाई सुनिश्चित करना चाहता है।
शिकायत में की गई वन भूमि के अवैध दोहन की शिकायत
मंटू सोनी ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया है कि पंकरि बारवाडीह कोयला परियोजना के लिए 1026.438 हेक्टेयर वन भूमि को अवैध रूप से हड़प लिया गया है। इस वन भूमि के दुरुपयोग से वहां के प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र को गंभीर नुकसान पहुंच रहा है। पर्यावरण मंजूरी की नौवीं शर्त के तहत एनटीपीसी को कोयला परिवहन के लिए कन्वेयर बेल्ट का उपयोग करना था ताकि वन्यजीवों, खासकर हाथियों की आवाजाही में बाधा न आए।
पर्यावरण और वन्यजीवों को हो रहा भारी नुकसान
पर शिकायत में कहा गया है कि कंपनी कोयला सड़क मार्ग से परिवहन कर रही है, जिससे वन्यजीवों और पर्यावरण को गंभीर नुकसान हो रहा है। सड़क मार्ग से कोयला परिवहन के कारण सड़क दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ गया है। इसके अलावा वन्यजीवों के कारण इंसानी बस्तियों और कृषि भूमि को भी नुकसान पहुंच रहा है। यह स्थिति वहां के स्थानीय निवासियों के लिए भी खतरा बनी हुई है।
शिकायतकर्ता ने यह भी बताया कि इस तरह के उल्लंघनों के बावजूद संबंधित अधिकारियों ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। यह अनदेखी पर्यावरण और वन्यजीव संरक्षण के लिए गंभीर चिंता का विषय है। एनजीटी ने इस मामले को लेकर नोटिस जारी कर संबंधित विभागों को जवाब देने का निर्देश दिया है। अब यह देखना बाकी है कि अगली सुनवाई में अधिकारियों की क्या प्रतिक्रिया होगी और किस तरह की कार्रवाई की जाएगी।
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