उपेंद्र कुशवाहा के विधायक किस के नेतृत्व पर सवाल उठा रहे हैं !
उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी राष्ट्रीय लोक मोरचा के विधायक रामेश्वर महतो के एक सोशल मीडिया पोस्ट ने कई तरह के सियासी सवालों को जन्म दे दिया है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी के विधायक हैं रामेश्वर महतो। हालिया संपन्न हुए बिहार विधानसभा चुनाव में उन्होंने बाजपट्टी विधानसभा सीट से जीत दर्ज की है। उनके एक सोशल मीडिया पोस्ट ने कई तरह के सियासी सवालों को जन्म दे दिया है।
रामेश्वर महतो ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा है कि राजनीति में सफलता केवल भाषणों से नहीं बल्कि सच्ची नियत और दृढ नीति से मिलती है। जब नेतृत्व की नियत धुंधली हो जाए और नीतियों जनहित से अधिक स्वार्थ की दिशा में मुड़ने लगें तब जनता को ज्यादा दिनों तक भ्रमित करके नहीं रखा जा सका है। आज का नागरिक जागरुक है और वह हर कदम, हर निर्णय और हर इरादे को बारीकी से परखता है।
रालोमो विधायक के इस बयान के बाद से बिहार में सियासी सरगर्मी तेज हो चुकी है। आखिर विधायक रामेश्वर किस नेतृत्व पर सवाल उठा रहे हैं ! वह किसके नेतृत्व की नियत को धुंधली बता रहे हैं और किसकी नीतियां स्वार्थ की दिशा में मुड़ रहे हैं ? कौन जनता को भ्रमित कर रहा है !
दरअसल बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद जिस प्रकार से सरकार गठन के समय उपेंद्र कुशवाहा ने अपने विधायकों की जगह अपने पुत्र दीपक प्रकाश को राज्य सरकार में मंत्री बनवाया, उसी समय से राष्ट्रीय लोक मोरचा में असंतोष के स्वर सुनांई पड़ने लगे थें। उपेंद्र कुशवाहा को गठबंधन में लड़ने के लिए छह सीटें दी गई थीं। एक सीट उन्होंने अपनी पत्नी स्नेहलता कुशवाहा को दिया था। कुशवाहा की पत्नी सासाराम सीट से इस लहर में जीतने में कामयाब हो गईं। लोगों को उम्मीद थी कि उनकी पत्नी ही रालोमो कोटे से बिहार सरकार में मंत्री बनेंगी लेकिन कुशवाहा ने अपने बेटे को राज्य सरकार में मंत्री बनवा दिया। दीपक प्रकाश अभी बिहार की एनडीए सरकार में पंचायती राज मंत्री हैं।
ऐसे में उनके एक विधायक रामेश्वर महतो ने बिना नाम लिए नेतृत्व पर सवाल दाग दिया है तो कयास विद्रोह के लगने लगे हैं। अब यही प्रश्न खड़ा होता है कि क्या एक बार फिर से कुशवाहा की पार्टी टूट जाएगी ! वैसे भी इसके पहले कई बार कुशवाहा की पार्टी टूट चुकी है। पहले राष्ट्रीय समता पार्टी, फिर राष्ट्रीय लोक समता पार्टी और अभी राष्ट्रीय लोक मोरचा। उपेंद्र कुशवाहा का बैनर समय समय पर बदलता ही रहा है। वो दो बार जनता दल यूनाइटेड में रह चुके हैं। एक पारी महाराष्ट्र की पार्टी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के साथ भी खेल चुके हैं। वो भाजपा के साथ भी गठबंधन कर चुके हैं, फिर छोड़ भी चुके हैं। कभी राजद और कांग्रेस के साथ चले जाते हैं तो कभी ओवैसी को बसपा के साथ हो लेते हैं। दाल नहीं गलती तो फिर वापस एनडीए में आ जाते हैं। उपेंद्र कुशवाहा की राजनीति चक्कर की तरह नाचती रहती है। ऐसे में क्या एक बार फिर से उनका पुराना इतिहास दोहराने वाला है ! क्या एक बार फिर से उनकी पार्टी दो फाड़ हो सकती है !
अगर सच में उनकी पार्टी टूट गई तो विधायक किस तरह रुख करेंगे ! संभव है कि उनकी पत्नी को छोड़कर उनके बचे हुए विधायक भाजपा या जेडीयू का रुख कर लें। उनके एक विधायक आलोक सिंह, दूसरे विधायक रामेश्वर महतो दोनों ही जेडीयू से उनकी पार्टी में आए हुए हैं।
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