Bihar News: गांवों से निकलकर पदकों तक पहुंचे बिहार के सितारे! बिहार बना खेलों की नई प्रयोगशाला

Bihar News: बिहार ने खेलों के इतिहास में इस बार एक अनोखा मुकाम हासिल किया है। 4 मई से शुरू हुए खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2025 का समापन पटना के पाटलिपुत्र स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में रंगारंग कार्यक्रम के साथ हुआ। इस भव्य आयोजन में बिहार ने सिर्फ एक मेज़बान राज्य के तौर पर नहीं बल्कि एक प्रतिभाशाली खिलाड़ी राज्य के रूप में भी देशभर का ध्यान खींचा।

May 16, 2025 - 11:05
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Bihar News: गांवों से निकलकर पदकों तक पहुंचे बिहार के सितारे! बिहार बना खेलों की नई प्रयोगशाला

Bihar News: बिहार ने खेलों के इतिहास में इस बार एक अनोखा मुकाम हासिल किया है। 4 मई से शुरू हुए खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2025 का समापन पटना के पाटलिपुत्र स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में रंगारंग कार्यक्रम के साथ हुआ। इस भव्य आयोजन में बिहार ने सिर्फ एक मेज़बान राज्य के तौर पर नहीं बल्कि एक प्रतिभाशाली खिलाड़ी राज्य के रूप में भी देशभर का ध्यान खींचा। हर कोने से आए दर्शकों और खिलाड़ियों ने बिहार की व्यवस्थाओं और खिलाड़ियों की मेहनत की सराहना की। बिहार ने यह साबित कर दिया कि अगर इच्छाशक्ति हो तो कोई भी राज्य खेलों में अपनी जगह बना सकता है।

खिलाड़ियों में जोश और सरकार की प्रतिबद्धता

इस समापन समारोह में बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी सहित कई बड़े नेता और अधिकारी शामिल हुए। उपमुख्यमंत्री ने खिलाड़ियों के जुनून और समर्पण की खुले दिल से तारीफ की। उन्होंने बताया कि बिहार अब 2030 के नेशनल गेम्स की मेज़बानी की तैयारी में जुट चुका है। इसके लिए राज्य के सभी नौ प्रमंडलों में खेल गांव बनाए जाएंगे। उन्होंने दूसरे राज्यों से आए खिलाड़ियों को भी प्रेरित किया और कहा कि बिहार अब सिर्फ एक दर्शक नहीं बल्कि एक दावेदार के रूप में खड़ा हो चुका है। सरकार की योजनाओं और नेताओं की सक्रियता ने युवाओं में नई ऊर्जा भरी है।

पदकों में छिपी गांवों की कहानियां

बिहार ने इस बार कुल 36 पदक जीते जिनमें 7 स्वर्ण 11 रजत और 18 कांस्य शामिल हैं। यह 2023 की तुलना में 620 प्रतिशत की वृद्धि है जब बिहार को केवल 5 पदक मिले थे। इस बार बिहार ने झारखंड को भी पदक तालिका में पीछे छोड़ दिया जो खुद में एक प्रतीकात्मक सफलता मानी जा रही है। इन पदकों के पीछे बिहार के छोटे छोटे गांवों की वो कहानियां हैं जहां बच्चों ने संसाधनों की कमी के बावजूद अभ्यास नहीं छोड़ा। उन्हीं गांवों से निकले बच्चों ने इस बार बिहार को राष्ट्रीय स्तर पर गर्व का एहसास कराया है।

नीतिश कुमार की सोच और योजनाओं का असर

बिहार की इस ऐतिहासिक सफलता के पीछे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की दूरदर्शिता और प्रतिबद्धता को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। उन्हीं की पहल पर बिहार राज्य खेल प्राधिकरण की स्थापना हुई और खेल विभाग का गठन कर खिलाड़ियों को प्रशिक्षण संसाधन और प्रतियोगिताओं में भागीदारी के बेहतर अवसर मिले। बिहार राज्य खेल प्राधिकरण के महानिदेशक रविंद्र शंकर ने बताया कि यह उपलब्धि एक दिन में नहीं मिली बल्कि यह कई सालों की सोच और योजनाओं का परिणाम है। सरकार की युवा केंद्रित नीतियों ने खिलाड़ियों को अपनी प्रतिभा निखारने का मंच दिया है।

संस्कृति और मेहमाननवाज़ी की मिसाल बना बिहार

इस आयोजन के माध्यम से बिहार ने न केवल खेलों में बल्कि मेहमाननवाजी में भी अपनी छवि चमकाई है। देश के 28 राज्यों और 8 केंद्र शासित प्रदेशों से आए हज़ारों खिलाड़ियों और अधिकारियों के लिए बिहार ने शानदार व्यवस्थाएं कीं। भोजन सुरक्षा और यातायात जैसी सभी व्यवस्थाएं सराहनीय रहीं। समापन समारोह में बिहार की संस्कृति कला और उत्सवों की झलक भी देखने को मिली। खिलाड़ियों के चेहरों पर जीत और गौरव की चमक ने पूरे माहौल को जीवंत बना दिया। बिहार ने यह साबित कर दिया कि वह अब हर मंच पर खुद को साबित करने में सक्षम है।

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