Jharkhand News: झारखंड में मातृ मृत्यु दर में पांच अंकों की गिरावट! महिलाओं की सेहत में सुधार
Jharkhand News: झारखंड से महिलाओं के स्वास्थ्य को लेकर अच्छी खबर सामने आई है। राज्य में मातृ मृत्यु दर में पांच अंकों की गिरावट दर्ज की गई है। यह गिरावट देश की तुलना में अधिक है क्योंकि देश भर में यह आंकड़ा केवल चार अंकों से कम हुआ है।
Jharkhand News: झारखंड से महिलाओं के स्वास्थ्य को लेकर अच्छी खबर सामने आई है। राज्य में मातृ मृत्यु दर में पांच अंकों की गिरावट दर्ज की गई है। यह गिरावट देश की तुलना में अधिक है क्योंकि देश भर में यह आंकड़ा केवल चार अंकों से कम हुआ है। इसका मतलब है कि झारखंड में प्रसव के दौरान या प्रसव के 45 दिन के भीतर मरने वाली महिलाओं की संख्या अब घटी है। पहले यह आंकड़ा एक लाख जीवित जन्मों पर 56 था जो अब घटकर 51 हो गया है।
बच्चों की हालत जस की तस बनी हुई है
महिलाओं की सेहत में तो सुधार आया है लेकिन नवजात बच्चों की हालत अभी भी पहले जैसी ही बनी हुई है। झारखंड में तीन साल पहले जो शिशु मृत्यु दर थी वह अब भी वैसी ही है। यह दर प्रति हजार जन्मे बच्चों में से 25 की मौत को दर्शाती है। यानी हर हजार नवजातों में 25 बच्चों की मौत एक साल के अंदर हो रही है। इस मामले में झारखंड ने कोई प्रगति नहीं की है जबकि पूरे देश में शिशु मृत्यु दर में थोड़ी सी गिरावट आई है।
रिपोर्ट में यह चौंकाने वाला तथ्य भी सामने आया है कि शहरी इलाकों में नवजात लड़कों की मृत्यु दर बढ़ गई है जबकि लड़कियों की स्थिति थोड़ी बेहतर हुई है। पहले शहरी क्षेत्रों में लड़कों की मृत्यु दर 19 थी जो अब बढ़कर 21 हो गई है। वहीं लड़कियों की दर 23 से घटकर 21 हो गई है। ग्रामीण क्षेत्रों में कोई बदलाव नहीं आया है। वहां लड़कों की मृत्यु दर 25 और लड़कियों की 27 बनी हुई है। यह बात चिंता का विषय जरूर है कि लड़कों की हालत शहरी इलाकों में खराब हुई है।
जीवन भर के जोखिम में भी आई कमी
मातृ मृत्यु दर के साथ साथ झारखंड में महिलाओं के जीवन भर के जोखिम में भी कमी आई है। पहले यह जोखिम 0.15 प्रतिशत था जो अब घटकर 0.13 प्रतिशत हो गया है। यानी हर हजार महिलाओं में से एक महिला के मरने की संभावना अब पहले से थोड़ी कम हो गई है। वहीं पूरे देश में यह जोखिम 0.21 प्रतिशत से घटकर 0.20 प्रतिशत पर पहुंचा है। यह दिखाता है कि झारखंड इस दिशा में सही रास्ते पर है और स्वास्थ्य सेवाओं में थोड़ा सुधार हुआ है।
अक्सर लोग मातृ मृत्यु दर और मातृ मृत्यु अनुपात को एक ही मानते हैं लेकिन इनमें बड़ा फर्क होता है। मातृ मृत्यु अनुपात हर एक लाख जीवित जन्मों पर मरने वाली माताओं की संख्या बताता है। वहीं मातृ मृत्यु दर जनसंख्या में प्रजनन आयु की महिलाओं के बीच मरने वाली माताओं की संख्या को दर्शाता है। यह आंकड़ा प्रति हजार महिलाओं पर दिया जाता है। ये दोनों आंकड़े महिलाओं की सेहत के स्तर को समझने में मदद करते हैं। यह रिपोर्ट तीन साल बाद आई है जिससे इन आंकड़ों को लेकर ज्यादा विश्वसनीयता मानी जा रही है।
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