Bihar News: गोरखपुर–सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे, 56 गांवों की किस्मत बदलने वाला प्रोजेक्ट, बड़ी अपडेट!
Bihar News: पूर्वी चंपारण के आठ प्रखंडों के लगभग 56 गांव जल्द ही गोरखपुर–सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे से जुड़ने वाले हैं। यह एक्सप्रेसवे पूरी तरह ग्रीनफील्ड प्रोजेक्ट के रूप
Bihar News: पूर्वी चंपारण के आठ प्रखंडों के लगभग 56 गांव जल्द ही गोरखपुर–सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे से जुड़ने वाले हैं। यह एक्सप्रेसवे पूरी तरह ग्रीनफील्ड प्रोजेक्ट के रूप में विकसित किया जा रहा है, इसलिए इसके लिए भूमि अधिग्रहण में कम बाधाएँ आएंगी। परियोजना के लिए प्रशासन ने तेजी से काम शुरू कर दिया है। पूर्वी चंपारण के इन आठ प्रखंडों में भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया को अंतिम रूप दिया जा रहा है और 491.12 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहण में तेजी लाई गई है। एक्सप्रेसवे जिले के पहाड़पुर क्षेत्र से प्रवेश करेगा और आगे शिवहर की ओर बढ़ेगा। इसके निर्माण से न केवल जिले का विकास तेज होगा, बल्कि आसपास के क्षेत्रों में भी औद्योगिक गतिविधियाँ बढ़ेंगी।
जानकारी के अनुसार, यह एक्सप्रेसवे छह लेन का होगा और पूर्वी चंपारण के 56 गांवों से गुजरते हुए अन्य जिलों की ओर बढ़ेगा। इस 520 किलोमीटर लंबे एक्सप्रेसवे पर लगभग ₹32,000 करोड़ की लागत आएगी। विशेषज्ञों का कहना है कि यह एक्सप्रेसवे क्षेत्र में आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देगा और यात्रियों को बेहतर व तेज यात्रा सुविधा प्रदान करेगा। ग्रीनफील्ड होने के कारण यह एक्सप्रेसवे शहरों से दूर बनाया जा रहा है, जिससे भूमि अधिग्रहण और निर्माण कार्य में कोई बड़ी बाधा नहीं आएगी। क्षेत्र में विकास परियोजनाएँ बढ़ेंगी, जिससे स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर तैयार होंगे।
इस एक्सप्रेसवे के निर्माण से गोरखपुर से सिलीगुड़ी की दूरी 600 किलोमीटर कम हो जाएगी। इससे यात्रियों को बड़ी राहत मिलेगी और दोनों शहरों के बीच परिवहन तेज और सुगम बन जाएगा। यह परियोजना न केवल पूर्वी चंपारण के लोगों के लिए लाभदायक होगी, बल्कि जिन जिलों से यह गुजरेगी, वहां के आर्थिक विकास में नई ऊर्जा लाएगी। एक्सप्रेसवे बनने के बाद व्यापार, पर्यटन और आवागमन में अनेक लाभ मिलेंगे और कई ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक उन्नति की संभावनाएँ पैदा होंगी।
ट्रैवल विशेषज्ञ विवेक पांडे के अनुसार, यह एक्सप्रेसवे बिहार के आठ जिलों—पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण, शिवहर, सीतामढ़ी, मधुबनी, सुपौल, अररिया और किशनगंज—से होकर गुजरेगा। कुल मिलाकर यह 39 प्रखंडों और 313 गांवों को प्रभावित करेगा और विकास के नए रास्ते खोलेगा। इस एक्सप्रेसवे पर वाहन 120 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल सकेंगे, जिससे यात्रा समय में भारी कमी आएगी। यह परियोजना बिहार में बुनियादी ढांचे को मजबूती देने के साथ-साथ लाखों लोगों के लिए रोजगार और आर्थिक अवसरों का नया दौर शुरू करेगी।
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