Bihar News: गया अब गया जी बना! 45 साल की मांग कैसे बनी ऐतिहासिक फैसला

Bihar News: बिहार के पवित्र और ऐतिहासिक शहर गया को अब एक नया और सम्मानजनक नाम मिल गया है। बिहार कैबिनेट की बैठक में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में यह ऐतिहासिक फैसला लिया गया कि अब गया को ‘गया जी’ के नाम से जाना जाएगा। जैसे ही यह खबर सामने आई वैसे ही पूरे गया जिले में खुशी और उत्साह की लहर दौड़ गई।

May 17, 2025 - 11:04
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Bihar News: गया अब गया जी बना! 45 साल की मांग कैसे बनी ऐतिहासिक फैसला

Bihar News: बिहार के पवित्र और ऐतिहासिक शहर गया को अब एक नया और सम्मानजनक नाम मिल गया है। बिहार कैबिनेट की बैठक में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में यह ऐतिहासिक फैसला लिया गया कि अब गया को ‘गया जी’ के नाम से जाना जाएगा। जैसे ही यह खबर सामने आई वैसे ही पूरे गया जिले में खुशी और उत्साह की लहर दौड़ गई। लोगों को यह लगने लगा कि वर्षों पुरानी मांग आखिरकार पूरी हो ही गई। गया को हिंदू धर्म में मोक्ष की प्राप्ति का प्रमुख स्थान माना जाता है और देश भर से श्रद्धालु पिंडदान और श्राद्ध कर्म के लिए यहां आते हैं।

स्थानीय संतों गया के गायवाल पंडितों और जनप्रतिनिधियों की यह मांग लंबे समय से चली आ रही थी कि गया का नाम 'गया जी' किया जाए ताकि इसकी धार्मिक गरिमा और आधिकारिक मान्यता में इज़ाफा हो सके। अब इस मांग को सरकारी स्वीकृति मिलने से श्रद्धालुओं में गर्व की भावना और भी गहरी हो गई है। लोगों का मानना है कि ‘गया’ शब्द अधूरा लगता है लेकिन ‘गया जी’ कहते ही मन में श्रद्धा और सम्मान की भावना जाग जाती है। इस बदलाव को स्थानीय लोग सिर्फ नाम का बदलाव नहीं बल्कि एक सांस्कृतिक सम्मान के रूप में देख रहे हैं।

महेश लाल गुप्ता की वर्षों की मेहनत लाई रंग

विश्वनाथ मंदिर प्रबंध समिति के पूर्व अध्यक्ष महेश लाल गुप्ता ने बताया कि उन्होंने आज से लगभग 45 साल पहले इस मुद्दे को उठाया था। उस समय नीतीश कुमार भारत सरकार में रेल मंत्री थे और उन्हें एक मांग पत्र सौंपा गया था। महेश जी ने बताया कि यह प्रेरणा उन्हें एक स्थानीय निवासी सोहनलाल चड्ढा से मिली जिन्होंने कहा था कि ‘गया’ नाम अधूरा लगता है और इसमें ‘जी’ जोड़ना चाहिए। उसी समय से उन्होंने इस अभियान की शुरुआत की थी। उन्होंने दस साल पहले बिहार सरकार और गया नगर निगम को पत्र भी लिखा था। नगर निगम ने पहले ही ‘गया जी’ को मान्यता दे दी थी और अब राज्य सरकार ने भी इसे स्वीकार कर लिया है।

 जनता की आवाज को मिला सम्मान

स्थानीय निवासी धीरेन्द्र कुमार वर्मा ने कहा कि यह मांग पिछले पचास वर्षों से उठ रही थी। अब जब सरकार ने इसे स्वीकार कर लिया है तो हर नागरिक गर्व के साथ अपने शहर को ‘गया जी’ कहेगा। उन्होंने कहा कि पहले जब कोई 'गया' कहता था तो लगता था कि कुछ अधूरा है लेकिन अब ‘गया जी’ कहने से आत्मगौरव की अनुभूति होती है। यह बदलाव सिर्फ सरकारी घोषणा नहीं बल्कि हर उस व्यक्ति की भावना का सम्मान है जिसने अपने धर्म और संस्कृति के लिए यह मांग उठाई थी। इस निर्णय को सभी वर्गों से सराहना मिल रही है और सोशल मीडिया से लेकर मंदिरों तक खुशी का माहौल है।

धार्मिक गरिमा को मिला नया बल

जनता दल यूनाइटेड के नेता लालजी प्रसाद ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को धन्यवाद देते हुए कहा कि यह एक ऐतिहासिक निर्णय है। उन्होंने कहा कि जैसे बद्रीनाथ और केदारनाथ के साथ ‘नाथ’ जुड़ने से सम्मान बढ़ता है वैसे ही ‘गया जी’ से इस स्थान की गरिमा और धार्मिक पहचान मजबूत हुई है। गायवाल पंडा नीरज कुमार मौर्य ने कहा कि गया पहले से ही एक धार्मिक स्थल था लेकिन अब ‘गया जी’ कहे जाने से इसकी प्रतिष्ठा और अधिक बढ़ गई है। अधिवक्ता राजेश रंजन सहाय ने भी इस निर्णय को दूरदर्शी और सांस्कृतिक रूप से सशक्त कदम बताया। उनका कहना है कि इससे गया की धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान को नई ऊर्जा मिली है और आने वाली पीढ़ियां इसे गर्व से अपनाएंगी।

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