Retreat Ceremony: तनाव घटा लेकिन भरोसा नहीं, रिट्रीट सेरेमनी में दिखेगी सख्ती और सीमा का संदेश

Retreat Ceremony: भारत और पाकिस्तान के बीच लंबे समय से चली आ रही एक परंपरा एक बार फिर से शुरू हो रही है। अमृतसर के अटारी-वाघा बॉर्डर पर आज से फिर से रिट्रीट सेरेमनी की शुरुआत हो रही

May 20, 2025 - 14:06
May 20, 2025 - 14:10
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Retreat Ceremony: तनाव घटा लेकिन भरोसा नहीं, रिट्रीट सेरेमनी में दिखेगी सख्ती और सीमा का संदेश

Retreat Ceremony: भारत और पाकिस्तान के बीच लंबे समय से चली आ रही एक परंपरा एक बार फिर से शुरू हो रही है। अमृतसर के अटारी-वाघा बॉर्डर पर आज से फिर से रिट्रीट सेरेमनी की शुरुआत हो रही है। इसके साथ ही पंजाब के दो और बॉर्डर पोस्ट – हुसैनीवाला (फिरोजपुर) और सदकी बॉर्डर (फाजिल्का) पर भी यह सेरेमनी दोबारा शुरू की जा रही है। यह निर्णय उस समय लिया गया है जब भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ा हुआ तनाव अब धीरे-धीरे कम हो रहा है। बता दें कि 7 मई को पहलगाम आतंकी हमले के बाद बीएसएफ ने यह सेरेमनी रोक दी थी।

भारत की ओर से नहीं खुलेगा गेट और नहीं होगा हैंडशेक

हालांकि सेरेमनी शुरू तो की जा रही है लेकिन इसमें कुछ जरूरी बदलाव किए गए हैं। बीएसएफ ने साफ कर दिया है कि इस बार भारत की ओर से बॉर्डर का गेट नहीं खोला जाएगा और न ही दोनों देशों के कमांडर आपस में हाथ मिलाएंगे। यह एक साफ संदेश है कि भारत फिलहाल पाकिस्तान के साथ सीमित औपचारिकता ही रखेगा। यह कदम सुरक्षा और कूटनीतिक परिस्थितियों को ध्यान में रखकर उठाया गया है। आज की सेरेमनी केवल मीडिया के लिए आयोजित की जाएगी और आम लोगों को इसमें आने की अनुमति नहीं होगी।

कल से आम जनता के लिए भी होगी शुरुआत

बीएसएफ की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक आम लोग इस सेरेमनी का आनंद 21 मई से ले सकेंगे। यानी कल से अटारी-वाघा, हुसैनीवाला और सदकी बॉर्डर पर शाम 6 बजे यह रिट्रीट सेरेमनी आयोजित की जाएगी और आम नागरिक इसमें शामिल हो सकेंगे। हालांकि यह ध्यान देना जरूरी है कि नए फैसले के तहत अब न तो सीमा पर गेट खुलेगा और न ही पाकिस्तानी कमांडर से कोई औपचारिक अभिवादन किया जाएगा। इस कार्यक्रम में केवल राष्ट्रगान, परेड और ध्वजवंदन की प्रक्रिया होगी।

1959 से चली आ रही परंपरा में पड़ा था विराम

बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी की शुरुआत 1959 में भारत और पाकिस्तान के बीच एक सांस्कृतिक और सैन्य परंपरा के तौर पर हुई थी। हर शाम दोनों देशों की सेना के जवान बॉर्डर पर एक शानदार परेड करते हैं और दोनों देशों के ध्वजों को एक साथ सम्मान के साथ उतारा जाता है। यह सेरेमनी पर्यटकों के बीच भी बेहद लोकप्रिय रही है। लेकिन इस बार जब 7 मई को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमला हुआ तो भारत ने इस समारोह को तुरंत रोकने का फैसला लिया था। अब जब स्थिति में कुछ शांति है तो यह परंपरा फिर से शुरू की जा रही है लेकिन नए नियमों के साथ।

रिट्रीट सेरेमनी आज से फिर शुरू हो रही है लेकिन भारत ने तय किया है कि गेट नहीं खोलेगा और न ही हाथ मिलाए जाएंगे। आज का कार्यक्रम सिर्फ मीडिया के लिए है जबकि आम जनता के लिए यह कल से खुलेगा। यह परंपरा 1959 से चली आ रही है जिसे सुरक्षा कारणों से रोका गया था।

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