बुजुर्गों का शहर बनता पटना, तेजी से युवा छोड़ रहे राजधानी
बिहार की राजधानी पटना से तेजी से युवाओं का पलायन दूसरे शहरों की ओर हो रहा है। ऐसा लगता है कि जैसे पटना बुजुर्गों का शहर हो गया है। यह स्थिति बेहद चिंताजनक है।
वो भी एक समय था जब बिहार के युवाओं के लिए पटना सपनों का शहर हुआ करता था। अच्छी जिंदगी गुजर बसर करने वाला हर बिहारी नौजवान पटना में रहना चाहता था। बिहारियों की इसी ख्वाहिश ने पटना महानगर को विस्तार दिया। पटना में कई सारे नए इलाके, मुहल्ले और कॉलोनियां बनीं।
जिस राज को जंगलराज कहा गया, उसी दौर में पटना में बेतहाशा कंक्रीट के जंगल बनें। खूब सारे कोचिंग, प्राइवेट कॉलेज, लॉज फलते फूलते रहे। पटना इसी दौर में अपार्टमेंट के शहर में तब्दील हो गया।
बिहार भर प्रशासनिक अधिकारी, पुलिस अधिकारी, राज्य सचिवालय के कर्मचारियों, वर्तमान और पूर्व हो चुके राजनेताओं, विभिन्न विभागों के अभियंताओं ने पटना को अपना स्थाई ठिकाना बनाया। पूरे बिहार के आर्थिक तौर पर मजबूत और पढ़ें लिखे लोगों ने भी पटना को अपनाया। बिहार के सबसे बड़े शहर की खूबसूरती में चार चांद लगा।
इन सबके बाल बच्चे आधुनिक वेशभूषा, आधुनिक शिक्षा, पाश्चात्य शैली, विलासितापूर्ण जिंदगी ने पटना के कल्चर को लगभग मेट्रो कल्चर में बदल कर रख दिया।
फिर दौर आया इन्हीं लोगों की दूसरी और तीसरी पीढ़ी का। सामाजिक और राजनीतिक तौर पर भी बिहार बदल गया। सुशासन की लकीर लगातार आगे बढ़ती रही। अब नई पीढ़ी जिसके बाप दादा कभी ग्रामीण परिवेश से निकल कर अच्छी शिक्षा और भविष्य के सपने लेकर पटना आए थें, अब वो पटना से आगे निकलना चाहते हैं।
पटना उन्हें सिर्फ 10th और 12th तक के लिए ही उन्हें रास आ रहा है। इसके बाद उनके सपने हैं, उनकी उम्मीदें हैं, अच्छी जिंदगी जीने की चाहत है जो उन्हें पटना से खींच कर कहीं और ले जा रहा है।
अखबारों के पन्ने और न्यूज चैनलों के हेडलाइंस को चाहे जितना भी मैनेज कर लिया गया पर नई पीढ़ी को पटना में अपना भविष्य नजर नहीं आ रहा। बेंगलुरु, चेन्नई, हैदराबाद, एनसीआर की तरफ पटना के युवाओं का बढ़ता रुझान अच्छे संकेत नहीं है।
पटना में अच्छे कॉलेज नहीं हैं। पटना यूनिवर्सिटी भी अब आउट डेटेड हो चुके हैं। सरकारी नौकरियों के अवसर तो सीमित थें ही पटना में निजी क्षेत्र में भी रोजगार के लिए कुछ खास नहीं है। 20 सालों में नीतीश सरकार ने चाहे कितना ही विकास क्यों न किया हो, इस क्षेत्र में फिसड्डी साबित हुए हैं। हालात यह है कि पटना में 15 हजार की नौकरी पाना आज की तारीख में टेढ़ी खीर है।
पटना महानगर के इलाकों में बड़े बड़े घर बनें हुए हैं। अपार्टमेंटों ने 2bhk और 3bhk फ्लैट सारी सुविधाओं से संपन्न हैं लेकिन उसमें घर के बच्चे नहीं बल्कि अब रिटायर हो चुके पैरेंट्स रहते हैं। बच्चे बाहर शेटल हो चुके हैं और वीडियो कॉल पर हाल चाल होता रहता है। नाती पोते पोतियों को लाड दुलार भी ऑनलाइन ही हो गया है।
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