आवारा कुत्तों की बढ़ती आबादी खतरनाक, 2030 तक दोगुने होने के आसार !

आवारा कुत्तों की बढ़ती आबादी आम जनजीवन को प्रभावित कर रही है। सरकार और नगर निकाय इस विषय पर जरा सी भी गंभीरता नहीं दिखा रहे हैं।

Dec 10, 2025 - 12:07
Dec 10, 2025 - 12:07
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आवारा कुत्तों की बढ़ती आबादी खतरनाक, 2030 तक दोगुने होने के आसार !

पशुपालन विभाग, बिहार सरकार की ओर से जारी सर्वे रिपोर्ट परेशान करने वाली है। बिहार में आवारा कुत्तों की संख्या लगातार बढ़ती ही जा रही है। आवारा कुत्तों की बढ़ती आबादी बिहार में गंभीर संकट का रुप लेती जा रही है। सर्वे के अनुसार बिहार में कुल 6.84 लाख से अधिक आवारा कुत्ते हो चुके हैं। यह आम जनजीवन के लिए खतरा बनता जा रहा है। 


कई जगहों पर ये आवारा कुत्ते सार्वजनिक जीवनयापन के लिए खतरा बनते जा रहे हैं। कुत्तों की बढ़ती आबादी से शहरी क्षेत्रों में रात्रि में कहीं आना जाना मुश्किल हो जाता है। इससे नागरिकों की व्यक्तिगत स्वतंत्रता प्रभावित हो रही है। 


बिहार में सबसे ज्यादा आवारा कुत्ते 57,920 गया जिले में है। दूसरे नंबर पर रोहतास आता है। यहां पर 31,668 कुत्ते हैं। सबसे कम संख्या में कुत्ते शिवहर और लखीसराय में हैं। रिपोर्ट के अनुसार अगर इन कुत्तों की बढ़ती आबादी को नियंत्रित नहीं किया गया तो अगले 05 सालों में यानी 2030 तक इनकी आबादी दोगुनी हो जाएगी। 


यह भी कहा जा रहा है कि आवारा कुत्तों की बढ़ती जनसंख्या लोगों के लिए परेशानी का सबब बनता जा रहा है। कुत्तों द्वारा हमला करने और काटने की घटनाएं सामने आ रहीं हैं। इससे रैबिज जैसी घातक बीमारी का खतरा बढ़ता जा रहा है। मुजफ्फरपुर में तो आवारा कुत्ते के हमले से एक बच्ची की मौत तक हो चुकी है। आज भी मुजफ्फरपुर में रोजाना 40 से 50 लोग कुत्तों के हमले का शिकार होते हैं। 


रैबिज के बढ़ते खतरों के बावजूद बिहार का कोई भी नगर निकाय अथवा विभाग कुत्तों की नसबंदी पर काम नहीं कर रहा है। सारी बातें सिर्फ कागजों तक ही सीमित हैं। कुछ दिनों तक नगर निकाय अगर मुस्तैदी दिखाते हैं तो थोड़े ही समय में सुस्त पड़ जाते हैं। इस वजह से समस्या और भी बढ़ती जा रही है। 

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