CM Nitish Kumar ने नहीं संभाला गृह मंत्रालय, जीतन राम मांझी बोले यह सामान्य गठबंधन समायोजन का मामला
बिहार में सरकार गठन के बाद मंत्रियों के बीच विभागों का बंटवारा भी कर दिया गया है। राजनीतिक गलियारों में CM Nitish Kumar को गृह विभाग न मिलने
बिहार में सरकार गठन के बाद मंत्रियों के बीच विभागों का बंटवारा भी कर दिया गया है। राजनीतिक गलियारों में CM Nitish Kumar को गृह विभाग न मिलने को लेकर चर्चा जोरों पर है। इस पर केंद्रीय मंत्री और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के प्रमुख जितन राम मांझी ने भी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि यह एक गठबंधन सरकार है और इसमें कुछ भी गलत नहीं कहा जा सकता। यह एक समायोजन का मामला है। वास्तव में मुख्यमंत्री गृह विभाग को संभाल सकते हैं, लेकिन ऐसा कोई कानून नहीं है। कई राज्यों में अन्य मंत्री भी गृह विभाग की जिम्मेदारी संभालते हैं। बिहार में अब तक ऐसा कभी नहीं हुआ था।
मांझी ने आगे कहा, "नीतीश कुमार ने गृह विभाग एक युवा नेता को या तो अपनी सुविधा के लिए या अपने भारी कार्यभार के कारण सौंपा है। उन्होंने यह राज्य के हित में किया है। कभी-कभी लोग कानून और व्यवस्था पर सवाल उठाते हैं। इसलिए मैं एक युवा मंत्री हूं और मैं व्यक्तिगत रूप से स्थिति को समझूंगा और कार्रवाई करूंगा।" उनके अनुसार यह कदम राजनीतिक दृष्टिकोण से नहीं देखा जाना चाहिए, बल्कि राज्य के विकास और सुशासन की दृष्टि से आवश्यक है।
गृह विभाग में युवा नेतृत्व की जिम्मेदारी
जितन राम मांझी ने कहा, "मेरी राय में कानून और व्यवस्था को नियंत्रित करने की आवश्यकता होगी, लेकिन हम इसे राजनीतिक दृष्टि से नहीं देखते। हमें लगता है कि बिहार में अच्छा काम होना चाहिए। यदि विकास कार्य को आगे बढ़ाना है, तो कानून और व्यवस्था में भी सुधार होना जरूरी है। ऐसे समय में हमारे पास एक युवा नेता है। भाजपा ने बड़ी संख्या में सीटें जीती हैं। यह समझते हुए कि उसे एक अच्छा विभाग दिया जाए ताकि उसे कोई कठिनाई न हो, उसे गृह विभाग सौंपा गया। हमें यह एक सकारात्मक कदम लगता है।"
इस बार उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी को गृह विभाग की जिम्मेदारी दी गई है। मांझी के अनुसार, यह कदम राज्य की बेहतर कार्यप्रणाली और युवा नेतृत्व को अवसर देने के लिए उठाया गया है। उन्होंने जोर देकर कहा कि युवा नेता के साथ अन्य लोग भी योगदान देंगे और यह राज्य के हित में है।
गृह विभाग विवाद को बढ़ावा देना अनुचित
मांझी ने स्पष्ट किया, "मेरी राय में इस विषय को बढ़ाना उचित नहीं होगा। यह राज्य के सर्वोत्तम हित में किया गया है। नीतीश कुमार ने अपनी दक्षता को पहचानते हुए युवा नेता को पदोन्नत किया। उन्होंने यह माना कि वह अकेले प्रभारी नहीं रहेंगे, बल्कि उनके लोग भी योगदान देंगे। इसलिए यह एक सकारात्मक कदम है और इसमें कोई समस्या नहीं है। हमें नहीं लगता कि यह कोई चर्चा का विषय होना चाहिए।"
उनके अनुसार गृह विभाग का बंटवारा राज्य हित और सुशासन की दृष्टि से किया गया है, न कि राजनीतिक लाभ के लिए। इस निर्णय के पीछे युवा नेतृत्व को सशक्त बनाने और राज्य में कानून और व्यवस्था सुनिश्चित करने का उद्देश्य है।
कांग्रेस की "वोट चोरी" रैली पर मांझी की प्रतिक्रिया
जब मांझी से दिल्ली में 14 दिसंबर को कांग्रेस की "वोट चोरी" के खिलाफ आयोजित रैली के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा, "कांग्रेस की लगातार एक ही कहानी है; वे हमेशा वोट चोरी की बात करते हैं। चाहे वह रामलीला मैदान हो या कहीं और, उन्होंने बिहार में कई दिन यात्रा की, लेकिन राज्य की जनता ने उन्हें खारिज कर दिया। उन्होंने SIR और वोट चोरी के नाम पर प्रदर्शन किया। यदि बिहार के लोग उनके शब्दों को मान लेते, तो शायद NDA इतनी भारी जीत नहीं हासिल कर पाती। उन्हें इससे सबक सीखना चाहिए।"
मांझी के अनुसार, बिहार की जनता ने अपने निर्णय से साफ संदेश दिया है कि विकास और सुशासन पर ध्यान देना जरूरी है। यह स्पष्ट है कि राज्य में कानून और व्यवस्था की स्थिति पर सवाल उठाने वाले बयान राजनीतिक लाभ के लिए नहीं बल्कि वास्तविकता के आधार पर समझे जाने चाहिए।
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